सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान कि हिंदू नाम का कोई धर्म नहीं, अनुचित है- अशोक बालियान

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान कि हिंदू नाम का कोई धर्म नहीं, अनुचित है- अशोक बालियान


समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक भाषण में कहा है कि ब्राह्मणवाद की जड़े बहुत गहरी हैं और सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है। हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं, हिंदू धर्म केवल धोखा है। हिन्दू धर्म की प्रकृति और उसके बारे में अज्ञानता व झूठ फैलाया जा रहा है।
भारतीय राजनीति में जिन दो शब्दों का सर्वाधिक दुरुपयोग किया वह है ‘मनुवाद और ब्राह्मणवाद है। कुछ लोगों की सोच है कि इन शब्दों के माध्यम से हिन्दुओं में विभाजन करके दलितों के वोट कब्जाए जा सकते हैं या उनका धर्मान्तरण किया जा सकता है। अधिकांश लोगों में भ्रम है कि मनु कोई एक व्यक्ति था, जो ब्राह्मण था। जबकि तथ्य यह है कि मनु एक राजा थे। इसीप्रकार ब्राह्मण वह है जो ब्रह्म (अंतिम सत्य, ईश्वर या परम ज्ञान) को जानता है। बाद में यह शब्द जाति के लिए प्रयोग होने लगा था। इतिहास से हमें जानकारी मिलती है कि ब्राह्मण समाज ने सभी समाज के लोगों को शिक्षा दी है।
Oriental memoirs a narrative of seventeen years residence in India vol 1 By James Forbes 1834 के अनुसार मनुस्मृति हिन्दू धर्म का एक प्राचीन धर्मशास्त्र व संविधान है। मनु स्मृति विश्व में समाजशास्त्र के सिद्धान्तों का प्रथम ग्रंथ है। जीवन से जुडे़ सभी विषयों के बारे में मनु स्मृति के अन्दर उल्लेख मिलता है। इस ग्रंथ की प्रतिष्ठा धूल में मिलाने के लिए विधर्मियों ने इसके बारे में भ्रम फैलाया था और इसमें अनेकों आपतिजनक विषय जोड़ दिए थे। जिस तरह मनुवाद जैसा कोई वाद नहीं है, उसी तरह ब्राह्मण वाद भी कोई वाद नहीं है। मनुवाद और ब्राह्मण वाद भी वामपंथियों की देन है।
लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि किसी नियम, कानून या परम्परा के तहत जब किसी व्यक्ति को उसकी जाति, धर्म, कुल, रंग, नस्ल, परिवार, भाषा, प्रांत विशेष में जन्म के आधार पर ही किसी कार्य के लिए योग्य या अयोग्य मान लिया जाए तो वह ब्राह्मण वाद कहलाता है। जैसे पुजारी बनने के लिए ब्राह्मण कुल में पैदा होना जरुरी है। ब्राह्मण वाद के बारे में आम जनता की सोच यहीं तक सीमित है।
A View of the History, Literature and Religion of the Hindoos vol 1 by William Ward 1817 के अनुसार हिंदू धर्म के वास्तविक सिद्धांतों में जीवन के प्रमुख कर्तव्य, पवित्रता और उदारता का समावेश है। वेद हिन्दू धर्म के सर्वोच्च धर्मग्रंथ हैं। हिंदू धर्मशास्त्र की पूरी प्रणाली इस सिद्धांत पर आधारित है कि दिव्य आत्मा, ब्रह्मांड की आत्मा के रूप में, सभी चेतन प्राणियों में पदार्थ के साथ एकजुट हो जाती है।
The Chamars by Briggs, Geo W 1920 के अनुसार भारत में सनातन या वैदिक या हिन्दू धर्म की परंपरा समाज में वर्ग से उत्पन हुई सभी जातियों को सम्मानजनक वंश प्रदान करती है और उनकी जाति-बहिष्कृत स्थिति को वेदों के कानूनों का उल्लंघन मानती है। सनातन परंपरा के अनुसार भारत का दलित वर्ग भी अन्य वर्गों के समान सम्मानजनक हिंदू है। लेकिन बाद में समाज में जातिगत भेदभाव बढ़ता चला गया था।
Sketches of the mythology and customs of the Hindoos by Forster 1785 के अनुसार हिंदुओं धर्म में मनुष्य के गुणों में धर्मपरायणता, वरिष्ठों की आज्ञाकारिता, दान, आतिथ्य सत्कार, माता-पिता का आदर और जन्म-जन्मांतर के वैवाहिक संबंध उनकी विशिष्ट विशेषताओं में से हैं। इसप्रकार वेदों में जाति व्यवस्था नहीं थी। जाति लोगों के एक विषम समूह से बनी है। जाति की उत्पत्ति प्राचीन गाँव की सीमाओं पर उस व्यावसायिक वर्ग में हुई थी। सनातन व्यवस्था के भीतर लोगों का कोई भी समूह सामाजिक स्तर पर ऊपर उठता रहा है।
इतिहास उनका होता है जिनके हाथों में कलम होती है। इसलिए हमने महसूस किया कि हमें हिन्दू धर्म पर लिखना चाहिए, ताकि समाजवादी पार्टी के नेता भी हिन्दू धर्म के इतिहास को जान सके, जो इसके बारे में गलत बातें कहते है।

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