बहनों ने जेल में बंद भाइयों को बांधी राखी,
जेल प्रशासन द्वारा की गई व्यापक व्यवस्था
सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम करते हुए मुस्लिम महिलाओं ने भी अपने भाइयों की कलाई पर बांधा रक्षा सूत्र
रक्षाबंधन का त्यौहार देशभर में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इस बार ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रक्षा बंधन बुधवार को शाम 9 बजकर 2 मिनट के बाद से गुरुवार की सुबह तक बताया गया लेकिन गुरुवार यानी आज सुबह से ही बहने अपने भाइयों को राखियां बांध रही है मुजफ्फरनगर के जिला कारागार में भी जेल में बंद अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए महिलाओं का तांता लगा है। भारी संख्या में महिलाएं जेल में बंद अपने भाइयों से मिलकर उनकी कलाई पर राखी बांधने के लिए उत्सुक दिखी कई महिलाओं की आंखों में इस बात को लेकर आंसू भी देखे गए की रक्षाबंधन के दिन भी उनका भाई जेल में बंद है और वह कुछ नहीं कर सकती बस बेबी के आंसू आंखों में लेकर राखी बांधने के लिए जेल के दरवाजे पर पहुंच गई जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने बताया कि जेल में बंद भाइयों को राखी बांधने के लिए महिलाएं सुबह 8:00 बजे से ही यहां पहुंचनी शुरू हो गई थी इसलिए इस बार हमने जल्दी मुलाकात करनी शुरू कर दी थी सबसे खास बात यह है कि आज रोजाना की तरह कंप्यूटराइज पर्ची बनवाने वाली महिलाओं की तो मुलाकात हो ही रही है अगर कोई महिला कंप्यूटराइज पर्ची नहीं बनवा पाती वह भी आज अपने भाई से मिल सकती है और उनकी कलाई पर राखी बांध सकती है। जेल प्रशासन द्वारा दूर दराज से आने वाली बहनों के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है जय कैंपस में एक टेंट लगाया गया है जिसमें बैठने और पानी वगैरह की व्यवस्था की गई है कुछ महिलाएं जेल में बंद महिलाओं द्वारा बनाई गई राखियां खरीद कर अपने भाइयों की कलाई पर बढ़ने के लिए जेल के अंदर जा रही है। जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने बताया कि अभी तक लगभग 500 महिलाएं अपने भाइयों को राखी बांध चुकी है और उन्हें उम्मीद है की शाम तक 1000 से 1200 महिलाएं अपने भाइयों से मुलाकात कर सकेंगी रक्षाबंधन पर जेल में सांप्रदायिक सौहार्द भी देखने को मिल रहा है जिसमें मुस्लिम महिलाएं भी भारी संख्या में अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए जिला कारागार पहुंच रही है