पूर्व विधायक उमेश मलिक की कोर्ट से जमानत मंजूर
मुजफ्फरनगर दंगे से कुछ दिन पूर्व शोरम गांव में हुए झगड़े के बाद पुलिस में हुई थी नामजद रिपोर्ट
मुजफ्फरनगर : उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर में स्पेशल एमपी एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने करीब 10 वर्ष पूर्व 2013 में हुए दंगे से कुछ दिन पहले थाना शाहपुर क्षेत्र के गांव शोरम में दो अलग समुदायों के लोगों के बीच हुई मारपीट के मामले में आरोपी पूर्व विधायक उमेश मलिक की जमानत को स्वीकार कर लिया।
पूर्व विधायक उमेश मलिक की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्यामवीर सिंह ने बताया कि 20 अगस्त 2013 को शोरम गांव में दो अलग समुदाय के लोगों के बीच झगड़ा हो गया था इस मामले में वाजिद की ओर से शाहपुर थाने पर 12 लोगों को नामजद कराया गया था जिसमें पूर्व विधायक उमेश मलिक पर भी लोगों को भड़काने का आरोप लगा था। पुलिस ने इस मामले की विवेचना कर फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में प्रेषित कर दी थी। बाद में पुलिस की फाइनल रिपोर्ट के खिलाफ वादी पक्ष द्वारा कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल किया गया था। 2017 में बुढ़ाना सीट से उमेश मलिक विधायक निर्वाचित हुए जिस कारण यह मामला स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया। प्रोटेस्ट पिटीशन के आधार पर मामला चलने के कारण आज मंगलवार 26 सितंबर को पूर्व विधायक उमेश मलिक ने कोर्ट में पेश होकर जमानत प्रार्थना पत्र किया। स्पेशल एमपी एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट के पीठासीन न्यायाधीश मयंक जायसवाल ने जमानत प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया। गौरतलब है कि कवाल कांड से करीब एक सप्ताह पूर्व शोरम में दो समुदाय के बीच विवाद होने के बाद भी मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था।