पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना को लेकर अधिवक्ताओं ने किया प्रदर्शन

पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना को लेकर अधिवक्ताओं ने किया प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर में शनिवार को हाई कोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश द्वारा पारित प्रस्ताव दिनांक 19.08.2023 के अनुपालन सिविल बार एसोसिएशन मुजफ्फरनगर के सभी सदस्यो के द्वारा प्यायिक कार्यों से रहते हुए पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हुए जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री भारत सरकार को पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच स्थापित करने के सम्बन्ध में ज्ञापन सौंपा गया तथा जनपद हापुड में अधिवक्ताओं पर पुलिस द्वारा किये गये बर्बरता पूर्ण लाठी चार्ज के विरोध में अधिवक्तओ द्वारा महासचिव ब्रिजेन्द्र सिंह मलिक के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की गई कि जिलाधिकारी हापुड़, पुलिस अधीक्षक हापुड़, क्षेत्राधिकारी हापुड का अविलम्ब स्थानान्तरण व दोषी पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर उन्हें गिरफ्तार किया जाये तथा वकीलों पर बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज में घायल अधिवक्ताओं को मुआवजा दिलाया जाए व अधिवक्ताओं के खिलाफ प्रदेश भर में दर्ज मुकदमें वापिस लिये जावे। धरना प्रदर्शन के दौरान विजेंद्र सिंह मलिक महासचिव द्वारा अवगत कराया गया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों का क्षेत्राधिकार इलाहाबाद उच्च न्यायालय में है जो कि 500 किलोमीटर से लेकर 750 किलोमीटर की दूरी पर है तथा सस्ता व सुलभ न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है । अधिवक्ताओं को यह भी बताया गया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित वादों का 52 प्रतिशत भाग केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलो से है ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता को सस्ता व सुलभ न्याय प्राप्त नहीं हो पा रहा है पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता 47 वर्षो से अधिक हाईकोर्ट बेंच की मांग कर रही है तथा आंदोलन करती आ रही है पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनसंख्या वर्तमान में तकरीबन 8 करोड़ के लगभग है तथा उच्च न्यायालय की खंडपीठ अब तक स्थापित नहीं की गई है। कुछ और राज्य ऐसे हैं कि जिन की जनसंख्या लगभग पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बराबर है उन राज्यों में मात्र उतनी जनसंख्या पर हाईकोर्ट खंडपीठ है यह भी उल्लेखनीय है कि कुछ राज्य एवं यूनियन टेरिटरीज जिनकी जनसंख्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगभग 5 वे भाग से भी कम है उनमें भी हाईकोर्ट खंडपीठ है कुछ स्थानों पर तो मात्र 1करोड़ की जनसंख्या पर या तो हाईकोर्ट है या हाईकोर्ट की खंडपीठ है फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश अपेक्षित क्यों है। शीघ्र व त्वरित न्याय प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक अधिकार है तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हाईकोर्ट की दूरी यहां के वादकारियों के लिए जस्टिस एट दी डोर स्टेप की सरकार की नीतियों के विरुद्ध है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की निरीह जनता एवं वादीगण हाईकोट वैध की स्थापना हेतु संघर्षरत है अतीत में आंदोलन हो रहे है तथा प्रत्येक जनपद में पिछले 47 वर्ष की अवधि से अधिक से प्रत्येक शनिवार मो अधिवक्तागण जनता द्वारा न्यायालयों में हड़ताल पर रहते हुए कार्य नहीं किया जा रहा है। इस अवसर पर मीरा सक्सेना, जितेन्द्र पाल सिंह, अजमेर सिंह, अशोक कुशवाहा, सतेन्द्र कुमार 2, पी० डी० त्यागी, रामदीर सिंह रविन्द्र सहरावत, राज सिंह रावत, श्यामवीर सिंह, अन्नु कुच्छल, निपुण जैन, अभिनय अग्रवाल, सुधीर गुप्ता, प्रवीण खोखर, विजेन्द्र प्रताप, सौरभ पंवार, घुम, नीरज ऐरन, संत कुमार, राकेश कुमार, नरेन्द्र प्रताप, सोहनलाल, रंजना, हिमांशु दीपक, ऋषि आनन्द कुमार, प्रवेश, प्रवीण कुमार, अंकित, अभिषेक पाल सुंदर पाल, आदि अधिवक्तागण उपस्थित रहे।

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