अगले साल तक उत्तर प्रदेश में 14 नए मेडिकल कॉलेज बढ़ जाएंगे। इससे एमबीबीएस की 14 00 सीटें भी बढ़ेंगी। पीपीपी मॉडल पर शुरू होने वाले 16 मेडिकल कॉलेजों को भी गति दी जा रही है। कोशिश है कि इसमें आधे से अधिक को अगले सत्र में चालू कर दिया जाए।
चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ ही इसके विस्तारीकरण की दिशा में निरंतर कार्य हो रहे हैं। वर्ष 2017 से पहले प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ 1840 की सीटें थीं, लेकिन अब मेडिकल कॉलेज बढ़ने से 3828 सीटें हो गई हैं। यानी पिछले साढ़े चार साल में एमबीबीएस की 1988 सीटें बढ़ी हैं। इसी तरह निजी मेडिकल कॉलेजों में भी एमबीबीएस की सीटें 2550 से बढ़कर 4150 हो गई हैं। निजी मेडिकल कॉलेजों में 1600 सीटें बढ़ी हैं।आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े प्रदेश में वर्ष 2017 के पहले तक मात्र 17 सरकारी मेडिकल कॉलेज, संस्थान और विवि थे। लेकिन पिछले साढ़े चार सालों में 16 और क्रियाशील हो गए हैं। इसी तरह 25 अक्तूबर 2021 को देवरिया, एटा, फतेहपुर, गाजीपुर, हरदोई, जौनपुर, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, सिद्धार्थनगर में खोले गए हैं। अमेठी, औरैया, बिजनौर, बुलंदशहर, चंदौली, गोंडा, कानपुर देहात, कौशांबी, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, पीलीभीत, सोनभद्र और सुल्तानपुर में मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कार्य पूरा होने के करीब है। इन कॉलेजों में अगले साल शैक्षिक सत्र शुरू करने की तैयारी है।
16 जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोले जाने हैं। अब तक छह मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी मिल गई है। संभल, महराजगंज के लिए एमओयू हो चुका है। अन्य छह जिलों में मेडिकल कॉलेज के लिए 42 कंपनियों ने प्रस्ताव दिया है। इस पर कार्यवाही चल रही है। इस तरह आठ जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी पूरी हो चुकी है। अन्य आठ जिलों के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है।