मुजफ्फरनगर की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर रहा एमडीए, सरकार द्वारा बनाए गए नियमों को ही भूले बैठा है एमडीए

मुजफ्फरनगर की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर रहा एमडीए

सरकार द्वारा बनाए गए नियमों को ही भूले बैठा है एमडीए

एमडीए द्वारा अधिकृत कॉलोनियों का बाहय विकास शुल्क जमा करने के बाद भी नहीं हो रहा विकास

शहर में चारों ओर काटी जा रही है अनगिनत अवैध कालोनियां कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति

जनपद मुजफ्फरनगर में मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण शहर की उम्मीदो पर खरा उतरता नजर नहीं आ रहा है जनपद मुजफ्फरनगर में नियमों की अनदेखी के चलते शहर का विकास उस हिसाब से नहीं हो पा रहा जिससे होना चाहिए था मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण क्षेत्र में काटी जा रही अनगिनत अवैध कॉलोनियों पर एमडीए का कोई विशेष ध्यान नहीं है। अगर कहीं शिकायत हुई तो उस पर बुलडोजर चल जाता है अगर बड़ी सिफारिश आ जाती है तो उसे छोड़ दिया जाता है सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण में सुपरवाइजर के पद पर तैनात एक कर्मचारी रेखपाल है जो एमडीए सचिव का ओएसडी भी है। वही सब कुछ काम देखता है सूत्रों का कहना है कि अवैध कॉलोनी का प्रति बीघा के हिसाब से सुविधा शुल्क वसूला जाता है। अगर एमडीए द्वारा अधिकृत कॉलोनी की बात करें तो वहां भी नियमों की अनदेखी हो रही है जब कोई भी कॉलोनाइजर अपनी कॉलोनी का नक्शा पास एमडीए से कराता है तो कालोनाइजर को बाहय विकास शुल्क जमा करना होता है। उसके बदले मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण उस कॉलोनी के मुख्य द्वार तक नाली, नाले या सीवर लाइन का निर्माण करता है और कॉलोनी के गेट तक ही बिजली की लाइन तैयार करके देता है मगर मुजफ्फरनगर में एक भी एमडीए द्वारा अधिकृत कॉलोनी ऐसी नहीं है जिसमें एमडीए द्वारा कोई इस तरह का विकास कराया गया हो… अपनी कॉलोनी तक बिजली लाने की ज्यादातर बिल्डर खुद व्यवस्था कर रहा है । मुजफ्फरनगर शहर में लगभग एक दर्जन नई मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण द्वारा अधिकृत कालोनियां ऐसी है जहां काम चल रहा है मगर एमडीए द्वारा उन्हें कोई सुविधा नहीं दी गई है।
जानसठ रोड की बात करें तो ओम पैराडाइज को लगभग 10 साल तैयार हुए हो गया है मगर उसके मुख्य द्वार तक एमडीए अभी तक नाला भी नहीं बना पाया है इसके अलावा जानसठ रोड पर बहुत सारे शोरूम है उनका पैसा जमा होने के बावजूद भी एमडीए गहरी नींद सोया हुआ है जिस कारण से जानसठ रोड पर जरा सी बारिश होते ही पानी भर जाता है।
एमडीए द्वारा अधिकृत कालोनियों की बात करें तो गोकुल सिटी, वसुंधरा, पारस, वेदांता, ड्रीम सिटी, वैशाली, ए टू जेड और द्वारका सिटी सहित लगभग एक दर्जन कालोनियां है जिनकी शर्तों को एमडीए अभी तक पूरा नहीं कर पाया है
एमडीए द्वारा कई साल पहले ए टू जेड रोड पर डिवाइडर बनवाया गया और डिवाइडर के बीच में लाइटों की व्यवस्था की गई मगर 2 साल बीत जाने के बाद आज तक वह लाइट है जलाई नहीं गई

मुजफ्फरनगर शहर नगर पालिका क्षेत्र में कई दर्जन अवैध कालोनियां है जो काटी जा रही हैं । सूत्रों का यहां तक कहना है कि इन अवैध कॉलोनियों के पीछे मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण में सुपरवाइजर के पद पर तैनात एक कर्मचारी का हाथ है। जो सुपरवाइजर होने के बावजूद भी एमडीएस सचिव का को एसडीवी बताया जा रहा है। सूत्रों का यहां तक कहना है कि
मुजफ्फरनगर शहर के ज्यादातर कॉलोनाइजर इस कथित बाबू से बेहद परेशान हैं । आरोप है कि मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण अधिकृत कॉलोनी के बजाय अवैध कॉलोनी काटने वालों पर ज्यादा नरम निगाह रख रहा है चाहे उसका कारण सत्ता का हस्तक्षेप हो या फिर दूसरा कोई कारण हो, शहर में कट रही ताबड़तोड़ अवैध कॉलोनियों से मुजफ्फरनगर के बिल्डर बेहद परेशान हैं

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